बैर कुदर त से, कभी चलता नहीं.
बिन किये खाया, सदा पचता नहीं.
आदमी ने लाख कोशिश कर लिए,
कर्म बिन इतिहास है बनता नहीं.
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कर्म बिना कुछ दे न सके भगवान.
बिना बने कुछ काम न आये ज्ञान.
प्यार नहीं जिसमें गरीब वो सख्स बड़ा,
है जिसमें भाई-चारा वह ही धनवान.
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जिंदगी बस जिंदगी है.
वो खुद ही बंद गी है.
बचना है किसी से तो,
वो सिर्फ गन्दगी है.
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-डा.रघुनाथ मिश्र 'सहज'
बिन किये खाया, सदा पचता नहीं.
आदमी ने लाख कोशिश कर लिए,
कर्म बिन इतिहास है बनता नहीं.
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कर्म बिना कुछ दे न सके भगवान.
बिना बने कुछ काम न आये ज्ञान.
प्यार नहीं जिसमें गरीब वो सख्स बड़ा,
है जिसमें भाई-चारा वह ही धनवान.
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जिंदगी बस जिंदगी है.
वो खुद ही बंद गी है.
बचना है किसी से तो,
वो सिर्फ गन्दगी है.
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-डा.रघुनाथ मिश्र 'सहज'
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