गज़ल
दुखाकर तुमने दिल मेरा, मुझे दिल तक हिलाया है.
मगर है शुक्रिया तुमने मुझे, मुझसे मिलाया है.
अपेक्षा मेँ निराशा है, ये आखिर मेँ समझ पाया,
औलाद है शिक्षक, सबब ये तुमने, जब पढाया है.
हमने सुना है और, अनुभव से भी सीखा है- सबब,
सिर्फ जड से ही, फुनगियोँ तक को, प्राणाधार मिलता है.
ढेर विशयोँ की खुली हैँ, पाठशालायेँ, जहाँ मेँ पर,
उनसे बढ कर, शब्द्वाणोँ से, असल है क्या, सिखाया है.
जो नहीँ सोचा था, सपनोँ मेँ कभी,मुमकिन भी होगा वह्,
ज़िन्दगी का सच वही था सिर्फ, तुमने जो अब कर दिखाया है.
- डा. रघुनाथ मिश्र्
दुखाकर तुमने दिल मेरा, मुझे दिल तक हिलाया है.
मगर है शुक्रिया तुमने मुझे, मुझसे मिलाया है.
अपेक्षा मेँ निराशा है, ये आखिर मेँ समझ पाया,
औलाद है शिक्षक, सबब ये तुमने, जब पढाया है.
हमने सुना है और, अनुभव से भी सीखा है- सबब,
सिर्फ जड से ही, फुनगियोँ तक को, प्राणाधार मिलता है.
ढेर विशयोँ की खुली हैँ, पाठशालायेँ, जहाँ मेँ पर,
उनसे बढ कर, शब्द्वाणोँ से, असल है क्या, सिखाया है.
जो नहीँ सोचा था, सपनोँ मेँ कभी,मुमकिन भी होगा वह्,
ज़िन्दगी का सच वही था सिर्फ, तुमने जो अब कर दिखाया है.
- डा. रघुनाथ मिश्र्
औलाद है शिक्षक वाली पंक्ति में सबब की जगह सबक़ होना चाहिये । शायद टंकण में
ReplyDeleteभूल के कारण अन्यत्र भी सबक़ की जगह सबब छप गया है ।
सटीक सुझाव के लिये सादर- विनम्र आभार सुदेश जी. टंकड की त्रुटि है.
Deletebahut sunder gazal..
ReplyDeleteप्रोत्साहन के लिये धन्यवाद दास जी.
DeleteMisra Ji! Bahut achchhi Ghazal hai. Aur khaskar blog mein bachche ka animated photo char chand laga raha hai.
ReplyDeleteआप की मस्ंगल कामनओँ का प्रतिफल है. आभार.
Deleteशानदार गजल :)
ReplyDelete____________________
फॉलो किया, अब बराबर आता रहूँगा !!