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Saturday 11 January 2014

अलग -अलग ग़ज़लों के कुछ चुनिंदा शेर



आप ने  अपनी  कही,  सबने  सुनी,
अब समय है दूसरों को दीजिये कहने.
                  - डा.रघुनाथ मिश्र 'सहज'

आंधियाँ पुरजोर हों या मौसमों की मार हो,
यूं लगे माँ  स्वयं ही, आनंद का संसार हो.
                       - डा.रघुनाथ मिश्र 'सहज'
सोच जरा हट के.
खामखाँ  न भटके.
- डा.रघुनाथ मिश्र 'सहज' 
प्यार का  है चलन  मानव योनि  में,
नफरतों के गढ़ -मठों को दीजिये ढहने.
    - डा.रघुनाथ मिश्र 'सहज'
करनी कर अब यूं,
'सहज' नाम चमके.
- डा.रघुनाथ मिश्र 'सहज'
जो भटकाये मार्ग से,
तुरत  उसे  दुतकार.
- डा.रघुनाथ मिश्र 'सहज'
 
सपने ऐसे देखिये,
'सहज' मिले आकार. 
- डा.रघुनाथ मिश्र 'सहज'

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