आप ने अपनी कही, सबने सुनी,
अब समय है दूसरों को दीजिये कहने.
- डा.रघुनाथ मिश्र 'सहज'
आंधियाँ पुरजोर हों या मौसमों की मार हो,
यूं लगे माँ स्वयं ही, आनंद का संसार हो.
- डा.रघुनाथ मिश्र 'सहज'
सोच जरा हट के.
खामखाँ न भटके.
- डा.रघुनाथ मिश्र 'सहज'
प्यार का है चलन मानव योनि में,
नफरतों के गढ़ -मठों को दीजिये ढहने.
- डा.रघुनाथ मिश्र 'सहज'
करनी कर अब यूं,
'सहज' नाम चमके.
- डा.रघुनाथ मिश्र 'सहज'
जो भटकाये मार्ग से,
तुरत उसे दुतकार.
- डा.रघुनाथ मिश्र 'सहज'
सपने ऐसे देखिये,
'सहज' मिले आकार.
- डा.रघुनाथ मिश्र 'सहज'
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