रुक-रुक कर आने लगी, है फिर से बरसात.
रिमझिम -रिमझिम की झड़ी ,भीग रहा मन-गात.
कृषकों में आल्हाद है , लहरायेंगे खेत.
आएगा सब लौट अब , बिगाड़ा ब्याज समेत
महंगाई की मार से, जीवन हुआ तबाह.
झड़ी लगी बरसात की, अब होगी फिर वाह.
आसमान से अनवरत, बरस रही है आस.
अब अंधियारा फाड़ कर, आई ज्यूँ उजियास.
अभिनन्दन बारिश तेरा, करती धरती आज.
जलसा सा माहौल है, है खुशियों का साज.
_डा. रघुनाथ मिश्र 'सहज'
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