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Thursday, 16 May 2013

माँ पर एक मुक्तक्

"माँ की ममता. 
नहीँ इसकी समता. 
जग मेँ कहीँ भी, 
नहीँ यह तरलता".
- डा. रघुनाथ मिश्र्

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