40 साल पुरानी गज़ल के चन्द शेर:
देश का जिसमेँ, सम्मान् हरगिज़ नही.
उसका अपना कोई मान, हरगिज़ नहीँ.
मान- सम्मान, महफूज़ रखना सदा,
आज कल कोई, आसान हरगिज़ नहीँ.
देश रक्षा मेँ चाहे, ज़लालत सहेँ,
गर्व है इसमेँ, अपमान हरगिज़ नहीँ.
डा. रघुनाथ मिश्र
( मेरी पुस्तक- हिन्दी अंग्रेजी गज़ल संग्रह, 'सोच ले तू किधर जा रहा है' से
देश का जिसमेँ, सम्मान् हरगिज़ नही.
उसका अपना कोई मान, हरगिज़ नहीँ.
मान- सम्मान, महफूज़ रखना सदा,
आज कल कोई, आसान हरगिज़ नहीँ.
देश रक्षा मेँ चाहे, ज़लालत सहेँ,
गर्व है इसमेँ, अपमान हरगिज़ नहीँ.
डा. रघुनाथ मिश्र
( मेरी पुस्तक- हिन्दी अंग्रेजी गज़ल संग्रह, 'सोच ले तू किधर जा रहा है' से
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