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Tuesday 14 May 2013

क्षणिका

ज़िन्दगी राई है/ सकारात्मक सोच है अगर
पढा/ सुना/ एहसास किया है/ अनेकोँ ने
पसीना आता है लेकिन
लागू करने मेँ
नकारात्मक हो/ आलस्यवश/ आराम तलब हो जाने से
यही ज़िन्दगी पहाड बन जती है.
- डा. रघुनाथ मिश्र

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