डॉ.रघुनाथ मिश्र 'सहज' के चुनिन्दा दोहे :
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मेरे गुरुदेव से:
मेरे जीवन को दिया, ऐसा इक अवदान.
जीवन बोझ न रह गया, हुआ 'सहज' आसान.
गुरुवर तेरी कृपा से, अब धरती - आकाश.
जड़- चेतन-जल-थल सभी, हैं लगते मधुमास.
जीवन की कठिनाइयां, अब लगतीं मनमीत.
क्रंदन पहले का अभी, लगता सुन्दर गीत.
हे
मेरे गुरुदेव तुम, दो ऐसा वरदान.
क्रोध-मोह का नाश हो, सुख-दुख लगें समान.
गुरुवर तुमसे मांगता, शक्ति - बुद्धि और ज्ञान.
सेवा में सब कुछ जंचे,'सहज' मान- सम्मान.
-डॉ.रघुनाथ मिश्र 'सहज
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मेरे गुरुदेव से:
मेरे जीवन को दिया, ऐसा इक अवदान.
जीवन बोझ न रह गया, हुआ 'सहज' आसान.
गुरुवर तेरी कृपा से, अब धरती - आकाश.
जड़- चेतन-जल-थल सभी, हैं लगते मधुमास.
जीवन की कठिनाइयां, अब लगतीं मनमीत.
क्रंदन पहले का अभी, लगता सुन्दर गीत.
हे
मेरे गुरुदेव तुम, दो ऐसा वरदान.
क्रोध-मोह का नाश हो, सुख-दुख लगें समान.
गुरुवर तुमसे मांगता, शक्ति - बुद्धि और ज्ञान.
सेवा में सब कुछ जंचे,'सहज' मान- सम्मान.
-डॉ.रघुनाथ मिश्र 'सहज
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