'सहज' के ५ दोहे :
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अल्प आयु में चल बसे, दे जग को आनंद.
कहते जीतो प्रेम से , सही विवेकानंद.
नफरत से कुछ ना मिले, प्रेम जगत का सार.
कहा विवेकानंद ने, प्रेम जीवनाधार.
क्या लाये थे साथ औ, क्या जाएगा साथ.
सदाचरण -सद्कर्म ही, है बस असली पाथ.
चलो विवेकानंद से, लेलें हम कुछ सीख.
वर्ना अँधियारा घना, नहीं रहा कुछ दीख.
युग पुरुषों की परंपरा, है जग को वरदान.
दिया विवेकानंद ने, ऐसा ही अवदान.
-डॉ.रघुनाथ मिश्र 'सहज'
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अल्प आयु में चल बसे, दे जग को आनंद.
कहते जीतो प्रेम से , सही विवेकानंद.
नफरत से कुछ ना मिले, प्रेम जगत का सार.
कहा विवेकानंद ने, प्रेम जीवनाधार.
क्या लाये थे साथ औ, क्या जाएगा साथ.
सदाचरण -सद्कर्म ही, है बस असली पाथ.
चलो विवेकानंद से, लेलें हम कुछ सीख.
वर्ना अँधियारा घना, नहीं रहा कुछ दीख.
युग पुरुषों की परंपरा, है जग को वरदान.
दिया विवेकानंद ने, ऐसा ही अवदान.
-डॉ.रघुनाथ मिश्र 'सहज'
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