आज का दोहा : सहज का :
000
अब मन को धो डालिये, धुल जाए सँसार.
बन जाये फिर यह जगत, बस खुशियों का सार.
-डा.रघुनाथ मिश्र 'सहज'
कोटा-राजस्थान ( चेन्नई से)
000
अब मन को धो डालिये, धुल जाए सँसार.
बन जाये फिर यह जगत, बस खुशियों का सार.
-डा.रघुनाथ मिश्र 'सहज'
कोटा-राजस्थान ( चेन्नई से)
सुन्दर दोहे के लिए मेरी बधाई लें ।
ReplyDeleteAabhar
ReplyDelete