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Monday, 27 January 2014

शुभ संध्या दोस्तों (चेन्नई ) से :
अचंभे -अनुभव:
जब हम अपने गृह शहर कसबे या   गावं में होते हैं , तो फेसबुक मित्रों से बड़ी गर्मजोशी- आदर -सदभावना -प्यार से सने - मखमली आवरण  में पैक निमंत्रण,  उनके शहर आने के   लिए मिलते हैं  और बार-बार कुछ मित्र बाकायदा हर दो-चार दिनों में याद दिलाते  रहते हैं और सवाल करते हैं कि , "आप हमारे शहर कब आएंगे-हम  आप के आगमन का  इंतज़ार कर रहे हैं-आप  का हमाँरे घर में आतिथ्य स्वीकरोक्ति का." लेकिन जब उस शहर में पहुंच जाते हैं  तो वही मित्र (चंद अपवादों सहित ) याद् नहीं करते और मोबाइल   के जरिये सम्पर्क किये जाने  पर या तो जवाब नहीं देते  या फिर मिलने के प्रश्न पर निरुत्तर रह जाते हैं.
मैं चेन्नई में २१ जनवरी से हूँ और अभी ४ फरवी तक यहाँ हूँ -यह विदित होने पर भी  चंद  दोस्तों ने सिर्फ हांल -चाल जान लिया और मिलने की  पहल कहीं से भी नहीं।
खैर छोड़िये- मैं खुश हूँ अपनी बेटी के साथ और परम श्रध्देय गुरुदेव के साथ- श्री राम चन्द्र मिशन के चेन्नई स्थित ,,अंतर राष्ट्रीय मुख्यालय 'बाबूजी मेमोरिल आश्रम 'में और किसी से भी मुझे कोई गिला  नहीं है। लखनऊ- बस्ती-गोरखपुर -शाहजहांपुर में मित्रों ने बहुत प्यार -सम्मान दिया और मित्रता के सही मायने भी  उनहोंने  पुष्ट किये। मेरे स्वागत में अनेक संस्थओं ने वहाँ  संगोष्ठियां आदि  भी  आयोजित कीं।  सभी जगहों में मित्रों ने अपने घरों में पारिवारिक वातावरण दिया और  घर से कहीं ज्यादा अच्छे घर का एहसास करवाया।  मैं उनका सदैव आभारी रहूंगा।  चेन्नई के भी दोस्तों का , जिन्होंने मो-वार्ता से कुशल-क्षेम जाना , आभारी हूँ व रहूंगा।
 यह शिकायत करने के लिए नहीं, बल्कि अपने  भोगे हुए अनुभव/ यथार्थ , इस आभासी फेसबुक दुनियां के -आप के साथ साझा  करने के लिए है, ताकि आप जब कहीं  जाएँ तो किसी से कोई  अपेक्षा  न करें और यदि कोइ मो-वार्ता भी करता हो  तो उसे धन्यवद दें और खुश रहें।  ये घटनाएं हमें सिखाती हैं ,अतः इनका स्वागत करें।
सद्भावी/दोस्त/स्नेहाकांक्षी /सादर/सस्नेह आप का,
डा.रघुनाथ मिश्र 'सहज'
चेन्नई (तमिलनाडु)

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