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Thursday, 8 August 2019

आगमन-हर्षोल्लास का: 000 कल रात बड़ी मेहरबानी की बारिश ने रात भर गिरी हर दिल में आस भरी अनवरत अभी भी जारी है अब गर्मी पर भारी है चैन मिला अंतस में आनन्द का चला सिलसिला मिटा गिला बेचैनी का हिम पिघला अनचाही -अनपेक्षित तप्त धरा को चैन मिला उष्मा का गुरूर हिला छोटे बच्चे बूढ़े-जवान मर्द-औरत निहार रहे हैं आल्हाद से लाड़-प्यार से अबाध -बेझिझक पड़ती बारिश को कुछ छतरी लेकर कुछ बेख़ौफ खुले में सड़क पर निकल आए हैं कुछ गर्व से टहल रहे हैं आँगन में ही उद्दंडों की टोली लड़के - लड़कियों की पैदल-बाइक-साइकिलों पर छोटी नदी का रूप ले चुकी सड़क पर अलमस्त गीत गुनगुना रहे हैं कुछ भुनभुना रहे हैं कुछ मन की सुना रहे हैं लिख डाला मैने भी अभी -अभी उकेर दिया ह्रिदय पटल पर बारिश के आगमन के इस अचानक हाथ लगे हर्षोल्लास को 000 @डा०रघुनाथ मिश्र 'सहज'

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