Followers

Thursday 8 August 2019

अंतरध्वनि (मुक्तक)
            000
जी चाहे, जो कुछ कह लेना.
सीखा है, सब कुछ सह लेना.
'सहज' दिली ख्वाहिश है मेरी,
जैसा हूँ ,वैसा गह लेना.
@डॉ.रघुनाथ मिश्र 'सहज'
अधिवक्ता/साहित्यकार
सर्वाधिकार सुरक्षित

No comments:

Post a Comment