करो मत बात धरती की, गगन के इन दलालोँ की.
ये पत्थर हैँ न पिघलेँगे, ह्रिदयभेदी हवालोँ से.
निभाओगे कहाँ तक और, इन झूठे खुदाओँ को,
उघाडो बर्क के चेहरे, छिपे पैने सवालोँ से.
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ये पत्थर हैँ न पिघलेँगे, ह्रिदयभेदी हवालोँ से.
निभाओगे कहाँ तक और, इन झूठे खुदाओँ को,
उघाडो बर्क के चेहरे, छिपे पैने सवालोँ से.
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वाह....
ReplyDeleteबहुत बढ़िया......
सादर
अनु