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Wednesday, 24 October 2012

मुक्तक

होके सूरज, अन्धेरों का प्यादा बनूं
कह रहे हैं, बुराई पे पर्दा बनूँ
रोशनी बांटता ही रहूंगा सदा
है ये हसरत, अमर एक बन्दा बनूँ

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